तोपचंद न्यूज़ डॉट कॉम 17 जनवरी 2023 : दुर्ग: छत्तीसगढ़ की औद्योगिक राजधानी दुर्ग जिले के बघेरा में आयोजित शिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर व्यास पीठ से श्री राम जानकी पीठाधीश्वर महन्त राधेश्याम व्यास, धामपुर वाले ने बताया कि नारद को कामदेव पर विजय से अभिमान हो गया, उसके बाद नारद मोह की कथा के माध्यम से बताया कि भक्ति के लिए भगवान की कृपा की जरूरत होती है। भक्ति गुरु कृपा से मिलती है। नारद ने ब्रह्म लोक में ब्रह्मा जी से शिव कथा सुनी, ब्रह्मा ने बताया कि मैंने नंदीश्वर के मुख से जो कथा सुनी वही तुम्हे सुना रहा हूं। भगवान ने सबसे पहले शिव, शक्ति को प्रकट किया फिर सृष्टि रचना के क्रम में आनन्द वन वर्तमान काशी शहर बसाया। भगवान शिव यहां युवा अवस्था के स्वरूप में प्रकट हुए, फिर सृष्टि पालन के लिए विष्णु की उत्पत्ति की, और विष्णु जी के काशी में कठोर तप के कारण शरीर से काफी जल निकला, इससे पूरी सृष्टि जल मग्न हो गई। विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए और वे कमल पर बैठे थे, उनके पांच मुख थे। ब्रह्मा जी को जिज्ञासा हुई की इस नाभि कमल का छोर कहां है, वे नीचे देखे तो विष्णु जी दिखे। दोनों में विवाद हो गया कौन किसको पैदा किया। तब विवाद देख कर शिव जी ने एक तेज ज्योति पूंज को दोनों के बीच खड़ा कर दिया। अब शर्त लगी जो इसके आदि अन्त का पता लगा लेगा वह बड़ा है। ब्रह्मा ऊपर की ओर बढ़ा, विष्णु नीचे की ओर परंतु कोई पता नहीं लगा पाया। तब ब्रह्मा जी को केकती का फूल मिला , उसने अपनी गवाही से ब्रह्मा जी को इस ज्योति का पता लगाने पर मुहर लगाई। इधर शिव ब्रह्मा व केकति के झूठ से क्रोधित हो ब्रह्मा के एक सर को काट दिया, केकती श्राप दिया की तुम्हारा फूल शिव जी पर नहीं चढ़ेगा। तब ब्रह्मा, विष्णु ने शिव से क्षमा मांगी। शिव जी ने दिव्य ज्योति पूंज पर पानी के छीटें मारी जिससे वह एक जगह इकट्ठा हो गया। वही ज्योति पूंज सूर्य है, शिव ने पानी छीटा इसलिए सूर्य को जल अर्पित किया जाता है।
कथा के दौरान रोचक बातें बताते हुए आचार्य राधेश्याम व्यास ने बताया कि ब्रह्मा जी ने चंदन बनाया। विष्णु ने जल बनाया। शिव ने विजया, आक, धतूरा, शमी, दुर्वा बनाया। त्रिदेवों जी सम्मन्वयित शक्ति से बेल वृक्ष पैदा हुआ। इसलिए ये वस्तुएं इन भगवानों को प्रिय है। विश्वनाथ उत्पति रहस्य, काल भैरव उत्पति रहस्य, उज्जैन के महाकाल, एवम् भैरव कथा का सुन्दर ढंग से पौराणिक प्रमाणों के माध्यम से बताया। उन्होंने बताया कि काशी दर्शन से पहले गंगा स्नान करना चाहिए, फिर कालभैरव के दर्शन के बाद विश्वनाथ जी के दर्शन करने चाहिए, उसके बाद अन्नपूर्णा जी और महालक्ष्मी जी के दर्शन इसी क्रम से करने पर ही वांछित फल मिलता है। कथा व्यास ने आज ऐसी कथा प्रसंग का वर्णन किया जो जन मानस में फैली भ्रांति को दूर कर दिया। जैसे उज्जैन के काल को भैरव मदिरा क्यों पिलाया जाता है।
आज कथा के पूर्व प्रतिदिन यजमानों ने पार्थिव शिवलिंग का घी से अभिषेक किया। ज्ञातव्य हो की इस कथा में 36 मूल पोथी पाठ, की जा रही है। इस कार्यक्रम में नारायण सेवा संस्थान उदयपुर द्वारा मानवता के लिए किए जा रहे कार्यों के लिए सहयोग कर जरूरत मंद दिव्यांगो की सेवा के प्रकल्प के लाभों को बताया। आज की कथा में पूरा पंडाल ठसाठस भरा था लगभग 6000 सेअधिक श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण का लाभ लिया। आज कथा सुनने विशिष्ट रूप से ताम्रध्वज साहू, पूर्व गृह मंत्री छ ग उपस्थित थे। निर्मल मन से लोक कल्याण की कामना से शिव कृपा प्राप्त होती है।